Monday, 13 June 2016

तेरे साथ

आँखों से ओझल होने तक
बहकर कही दूर जाने तक
झोंका कोई आकर अदब से छुने तक
नदी में कोई  रंग मिल जाने तक
आसमाँ के बरसने तक या
आँधी की आहट तक
तरल लहरों से किनारे को छूने तक
किसी चींटी की नाँव होने तक
तेरे साथ हरपल मुझे रहने दे।
मुझे पानी सा सिर्फ बहने दे।

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